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बुधवार, अगस्त 17, 2016

Reiki Transforms Energy

Reiki is a gentle technique that reduces stress and promotes healing and relaxation. It is a simple and safe holistic therapy that influences the body, mind, emotions and spirit.

Reiki Transforms Energy
Reiki is grounded in the belief that life force energy flows within us all. When this life force energy is low, stress, illness and disease occur. Reiki works by improving this life force energy and bringing about a sense of peace and well being and enhancing a person’s quality of life.



Reiki Treatment
To receive reiki a person can sit in a chair or lie on a padded table. They remain fully clothed. A reiki practitioner then gently places their hands on or near certain points of the body. Treatment usually lasts between 60-90 minutes and is deeply relaxing. Reiki is simple to learn and can be taught to people so they can perform reiki on themselves.

Reiki Principles
Reiki is a spiritual healing practice but it is not a religion. Since reiki was developed in the 1920s different systems of reiki have developed. However, they all share the same five precepts or principles:

1. Do not become angry
2. Worry about nothing
3. Express your gratitude
4. Be diligent in your work
5. Be kind to others

Reiki Complements Other Treatments
Reiki can promote healing on its own but can also support other healing modalities. Reiki doesn’t interfere with or diminish the effects of other health 
or medical practices and can:

1. Reduce negative side effects
2. Shorten healing time
3. Reduce or eliminate pain
4. Reduce stress and
5. Help create optimism

Reiki is increasingly accepted in 
health and community 
care facilities including hospitals, 
hospices and cancer support units.

Reiki is a healing practice that is so gentle it can be safely performed on babies, the frail and the sick. It brings about a deep sense of relaxation and contentment and can complement other healing treatments.

मंगलवार, अगस्त 16, 2016

श्रावण में दारिद्रयदहन शिवस्तोत्र देता है आर्थिक संकटों से मुक्ति



श्रावण मास में प्रतिदिन 
भगवान शंकर का पूजन करके 
दारिद्रयदहन शिवस्तोत्र का पाठ करना चाहिए। 
इससे शिव की कृपा से दरिद्रता का नाश होता है, 
अथाह धन-संपत्ति की प्राप्ति होती है, 
मिलती है आर्थिक संकटों से मुक्ति....

विश्वेश्वराय नरकार्णवतारणाय 
कर्णामृताय शशिशेखरधारणाय। 
कर्पूरकांतिधवलाय जटाधराय 
दारिद्रयदुःखदहनाय नमः शिवाय ॥1॥ 

गौरीप्रियाय रजनीशकलाधराय 
कालान्तकाय भुजगाधिपकङ्कणाय। 
गङ्गाधराय गजराजविमर्दनाय 
दारिद्रयदुःखदहनाय नमः शिवाय .॥2॥ 

भक्तिप्रियाय भवरोगभयापहाय 
उग्राय दुर्गभवसागरतारणाय। 
ज्योतिर्मयाय गुणनामसुनृत्यकाय 
दारिद्रयदुःखदहनाय नमः शिवाय ॥3॥ 

चर्माम्बराय शवभस्मविलेपनाय 
भालेक्षणाय मणिकुण्डलमण्डिताय। 
मञ्जीरपादयुगलाय जटाधराय 
दारिद्रयदुःखदहनाय नमः शिवाय ॥4॥ 

पञ्चाननाय फणिराजविभूषणाय 
हेमांशुकाय भुवनत्रयमण्डिताय। 
आनंतभूमिवरदाय तमोमयाय 
दारिद्रयदुःखदहनाय नमः शिवाय .॥5॥ 

भानुप्रियाय भवसागरतारणाय 
कालान्तकाय कमलासनपूजिताय। 
नेत्रत्रयाय शुभलक्षणलक्षिताय 
दारिद्रयदुःखदहनाय नमः शिवाय .॥6॥ 

रामप्रियाय रघुनाथवरप्रदाय 
नागप्रियाय नरकार्णवतारणाय। 
पुण्येषु पुण्यभरिताय सुरार्चिताय 
दारिद्रयदुःखदहनाय नमः शिवाय .॥7॥ 

मुक्तेश्वराय फलदाय गणेश्वराय 
गीतप्रियाय वृषभेश्वरवाहनाय। 
मातङग्‌चर्मवसनाय महेश्वराय 
दारिद्रयदुःखदहनाय नमः शिवाय .॥8॥ 

वसिष्ठेन कृतं स्तोत्रं सर्वरोगनिवारणम्‌। 
सर्वसम्पत्करं शीघ्रं पुत्रपौत्रादिवर्धनम्‌। 
त्रिसंध्यं यः पठेन्नित्यं स हि स्वर्गमवाप्नुयात्‌ ॥9॥

सोमवार, अगस्त 15, 2016

मान्यता अनुसार रेकी का असली उदगम स्थल भारत है...विकी पीडिया

स्पर्श चिकित्सा

रेकी (霊気 या レイキ?, IPA: /ˈreɪkiː/) एक आध्यात्मिक अभ्यास पद्धति है जिसका विकास १९२२ में मिकाओ उसुई ने किया था। यह तनाव और उपचार संबंधी एक जापानी विधि है , जो काफी कुछ योग जैसी है। मान्यता अनुसार रेकी का असली उदगम स्थल भारत है। सहस्रों वर्ष पूर्व भारत में स्पर्श चिकित्सा का ज्ञान था। अथर्ववेद में इसके प्रमाण पाए गए हैं। यह विद्या गुरु-शिष्य परंपरा के द्वारा मौखिक रूप में विद्यमान रही। लिखित में यह विद्या न होने से धीरे-धीरे इसका लोप होता चला गया। 

ढाई हजार वर्ष पहले बुद्ध ने ये विद्या अपने शिष्यों को सिखाई जिससे देशाटन के समय जंगलों में घूमते हुए उन्हें चिकित्सा सुविधा का अभाव न हो और वे अपना उपचार कर सकें। भगवान बुद्ध की 'कमल सूत्र' नामक किताब में इसका कुछ वर्णन है। यहाँ से यह भिक्षुओं के साथ तिब्बत और चीन होती हुई जापान तक पहुँची है। 

जापान में इसे पुनः खोजने का काम जापान के संत डॉक्टर मिकाओ उसुई ने अपने जीवनकाल १८६९-१९२६ में किया था।  इसकी विचारधारा अनुसार ऊर्जा जीवित प्राणियों से ही प्रवाहित होती है। रेकी के विशेषज्ञों का मानना है कि अदृश्य ऊर्जा को जीवन ऊर्जा या की कहा जाता है और यह जीवन की प्राण शक्ति होती है। विशेषज्ञ कहते हैं कि " की " हमारे आस-पास ही है और उसे मस्तिष्क द्वारा ग्रहण किया जा सकता है।

रेकी शब्द में रे का अर्थ है वैश्विक, अर्थात सर्वव्यापी है। विभिन्न लोगों द्वारा किये गये शोध के अनुसार यह निष्कर्ष निकला है कि इस विधि को आध्यात्मिक चेतन अवस्था या अलौकिक ज्ञान भी कहा जा सकता है। इसे सर्व ज्ञान भी कहा जाता है जिसके द्वारा सभी समस्याओं की जड़ में जाकर उनका उपचार खोजा जाता है। समग्र औषधि के तौर पर रेकी को बहुत पसंद किया जाता है। रेकी की मान्यता है कि जब तक कोई प्राणी जीवित है, ‘की’ उसके गिर्द बनी रहती है। जब ‘की’ उसे छोड़ जाती है, तब उस प्राणी की मृत्यु होती है। विचार, भाव और आध्यात्मिक जीवन भी ‘की’ के माध्यम से उपजते हैं। रेकी एक साधारण विधि है, लेकिन इसे पारंपरिक तौर पर नहीं सिखाया जा सकता। विद्यार्थी इसे रेकी मास्टर से ही सीखता है। इसे आध्यात्म आधारित अभ्यास के तौर पर जाना जाता है। चिन्ता, क्रोध, लोभ, उत्तेजना और तनाव शरीर के अंगों एवं नाड़ियो मे हलचल पैदा करते देते हैं, जिससे रक्त धमनियों मे कई प्रकार के विकार उत्पन्न हो जाते हैं। शारीरिक रोग इन्ही विकृतियों के परिणाम हैं। शारीरिक रोग मानसिक रोगों से प्रभावित होते है। रेकी बीमारी के कारण को जड़ मूल से नष्ट करती हैं, स्वास्थ्य स्तर को उठाती है, बीमारी के लक्षणों को दबाती नहीं हैं। 
रेकी के द्वारा मानसिक भावनाओं का संतुलन होता है और शारीरिक तनाव, बैचेनी व दर्द से छुटकारा मिलता जाता हैं। रेकी गठिया, दमा, कैंसर, रक्तचाप, पक्षाघात, अल्सर, एसिडिटी, पथरी, बवासीर, मधुमेह, अनिद्रा, मोटापा, गुर्दे के रोग, आंखों के रोग , स्त्री रोग, बाँझपन, शक्तिन्यूनता और पागलपन तक दूर करने मे समर्थ है।

इसके द्वारा विशिष्ट आदर्शो के अधीन रहना होता है। संस्कृत शब्द प्राण इसी का पर्यायवाची है। चीन में इसे ची कहा जाता है। रेकी के विशेषज्ञ नकारात्मक ऊर्जा को समाप्त कर उसे सकारात्मक ऊर्जा में बदलने पर जोर देते हैं। उपचार करते समय रेकी विशेषज्ञ के हाथ गर्म हो जाते हैं। रेकी का इस्तेमाल मार्शल आर्ट़स विशेषज्ञ भी करते हैं। यह विद्या दो दिन के शिविर में सिखाई जाती है, जिसमें लगभग पंद्रह घंटे का समय होता है। इस शिविर में रेकी प्रशिक्षक द्वारा व्यक्ति को सुसंगतता ('एट्यूनमेंट' या 'इनिसियेशन' या 'शक्तिपात') प्रदान की जाती है। इससे व्यक्ति के शरीर में स्थित शक्ति केंद्र जिन्हें चक्र कहते है, पूरी तरह गतिमान हो जाते हैं, जिससे उनमें 'जीनव शक्ति' का संचार होने लगता है। रेकी का प्रशिक्षण मास्टर एवं ग्रैंड मास्टर पांच चरणों में देते हैं।

प्रथम डिगरी
द्वितीय डिगरी
तृतीय डिगरी
करुणा रेकी
मास्टर्स रेकी

-विकी पीडिया से

रविवार, अगस्त 14, 2016

तरोताजा करती है रैकी..एक अध्ययन

तरोताजा करती है रैकी आध्यात्मिक चिकित्सा पद्धति

जापान की परंपरागत 'जिकिडेन रैकी आध्यात्मिक चिकित्सा पद्धति' डायबटीज, गठिया, स्लिप डिस्क और बहरापन जैसी अनेक बीमारियों के साथ-साथ लाइलाज माने-जाने वाली अनेक बीमारियों में भी बहुत कारगर पाई गई है, साथ ही यह मनोवैज्ञानिक और भावनात्मक बीमारियों में भी बहुत असरकारक मानी जाती है। दरअसल, यह चिकित्सा पद्धति बीमार तन-मन के साथ तंदुरुस्ती के लिए भी बहुत उपयोगी है 
और यह उन्हें और भी तरोताजा करती है।

भारत यात्रा पर आए विश्वप्रसिद्ध जिकीडेन रैकी मास्टर फ्रेंक अरजावा पीटर ने राजधानी में आयोजित एक व्याख्यान में यह जानकारी देते हुए बताया कि दरअसल यह चिकित्सा पद्धति केवल बीमार तन-मन को ही नहीं, बल्कि तंदुरुस्त व्यक्ति को और तरोताजा करती है, 
प्रफुल्लित करती है।
उन्होंने कहा कि आज दुनिया को इस स्वास्थ्य पद्धति को दोबारा अपनाए जाने की बहुत जरूरत है। यह न केवल सस्ती रहती है बल्कि इसका असर भी रोगी पर बहुत जल्द नजर आता है तथा रैकी तन-मन दोनों की बीमारियों के इलाज के लिए बहुत कारगर पाई गई है।

रैकी मास्टर ने बताया कि जिकिडेन रैकी दरअसल जापानी चिकित्सा की एक बहुत प्राचीन आध्यात्मिक चिकित्सा पद्धति है 
जिसका बड़ी तादाद में लोग प्रयोग करते हैं। 

उन्होंने कहा कि इसे वे तथा उनके सहयोगी दोबारा से व्यापक पैमाने पर अपनाए जाने की महत्ता के अभियान में जुटे हैं। इस अवसर पर उन्होंने इस विधा का वहां मौजूद कुछ लोगों पर प्रयोग करके भी दिखाया। इस विधा को प्रयोग करने वाले अनेक लोगों ने भी 
इस बारे में अपने अनुभव भी साझे किए।

उन्होंने कहा कि यह तकनीक रक्तचाप, डिप्रेशन, भय जैसी मानसिक परेशानियों में भी बहुत फायदा देती है। भारत में इस पद्धति के पहले जिकिडेन रैकी मास्टर अमित सिंह भी इस मौके पर मौजूद थे।

सिंह के अनुसार वे लोग भारत में इसको लोगों तक पहुंचाने का एक अभियान चला रहे हैं ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग इससे लाभान्वित हो सकें, क्योंकि यह न केवल कारगर है बल्कि आम आदमी की पहुंच में है और इसके इलाज का भी जल्द असर देखने को मिलता है।

वे लोग भारत में इसको लोगों तक पहुंचाने का एक अभियान चला रहे हैं ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग इससे लाभान्वित हो सकें, क्योंकि यह न केवल कारगर है बल्कि आम आदमी की पहुंच में है और इसके इलाज का भी जल्द असर देखने को मिलता है।

उन्होंने बताया कि इस पद्धति की खासियत यह है कि इसके जरिए बीमार या उपचार करने वाला तो लाभान्वित होता ही है बल्कि यह एक ऐसी अनूठी पद्धति है जिससे उपचार करने वाले रैकी मास्टर में भी प्राणिक ऊर्जा का संचार होता है, साथ ही इसे अन्य चिकित्सा पद्धतियों के साथ-साथ कराया जा सकता है।

रैकी से बीमारियों के इलाज के साथ शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, शरीर के टॉक्सीन्स नष्ट होते हैं तथा आप स्वयं को तरोताजा महसूस करते हैं।

उन्होंने बताया कि अपनी बीमारियों पर प्रचलित चिकित्सा पद्धतियों से इलाज का कोई असर नहीं होने से निराश होकर उन्होंने इस चिकित्सा पद्धति का सहारा लिया था और स्वस्थ होने पर वे इसे अब जनसाधारण तक पहुंचाने के अभियान से जुड़े हैं।

रैकी मास्टर फ्रेंक दुनियाभर में लोगों को इस विधा को सिखा रहे हैं तथा इस बारे में उन्होंने अनेक पुस्तकें भी लिखी हैं।
-एक अध्ययन

Reiki Hand Positions for Self-Treatment


शुक्रवार, अगस्त 12, 2016

शुरुआती कदम...विभिन्न पुस्तकों से संकलित

कठिनाईया

जब तक आप अपनी समस्याओं एंव कठिनाईयों की वजह दूसरों को मानते है, तब तक आप अपनी समस्याओं एंव कठिनाईयों को मिटा नहीं सकते। क्योंकि अपनी समस्याओं एंव कठिनाईयों की वजह आप स्वयं हैं।

असंभव

इस दुनिया में असंभव कुछ भी नहीं। हम वो सब कुछ कर सकते है, जो हम सोच सकते है और हम वो सब सोच सकते है, 
जो आज तक हमने नहीं सोचा।

हार ना मानना

बीच रास्ते से लौटने का कोई फायदा नहीं क्योंकि लौटने पर आपको उतनी ही दूरी तय करनी पड़ेगी, जितनी दूरी तय करने पर आप लक्ष्य तक पहुँच सकते है। इसलिए लक्ष्य की ओर बढ़ें। अर्थ- हार व जीत का
सफलता हमारा परिचय दुनिया को करवाती है और असफलता हमें दुनिया का सहीं परिचय करवाती है।

सच्चा आत्मविश्वास

अगर किसी चीज़ को आप सच्चे दिल से चाहो तो पूरी कायनात 
उसे तुमसे मिलाने में लग जाती हैं।

सच्ची महानता

सच्ची महानता कभी न गिरने में नहीं बल्कि 
हर बार गिरकर फिर से उठ जाने में हैं।

गलतियां

अगर आप समय पर अपनी गलतियों को स्वीकार नहीं करते है तो आप एक और गलती कर बैठते है। आप अपनी गलतियों से तभी सीख सकते है जब आप अपनी गलतियों को स्वीकार करते है।

चिन्ता

अगर आप उन बातों एंव परिस्थितियों की वजह से चिंतित हो जाते है, जो आपके नियंत्रण में नहीं हैं तो इसका परिणाम समय की बर्बादी एवं भविष्य में पछतावा है।

शक्ति

ब्रह्माण्ड की सारी शक्तियां पहले से हमारी हैं। वो हम हैं जो अपनी आँखों पर हाथ रख लेते हैं और फिर रोते हैं कि कितना अन्धकार है।

मेहनत

हम चाहें तो अपने आत्मविश्वास और मेहनत के बल पर अपना भाग्य खुद लिख सकते है और अगर हमको अपना भाग्य लिखना नहीं आता तो परिस्थितियां व समय हमारा भाग्य लिख ही देंगी।
सपने

सच कहे ताे सपने वो नहीं है जो हम नींद में देखते है, 
सपने ताे वो है जो हमको नींद हीं न आने दें।

समय

आप यह नहीं कह सकते कि आपके पास समय नहीं है क्योंकि आपको भी दिन में उतना ही समय (२४ घंटे) मिलता है जितना समय महान एंव सफल लोगों को मिलता है। समय सभी काे एक समान ही मिलता हैं।

विश्वास

विश्वास में वो शक्ति है जिससे उजड़ी हुई दुनिया में प्रकाश लाया जा सकता है। विश्वास पत्थर को भगवान बना सकता है और अविश्वास भगवान के बनाए इंसान को भी पत्थर दिल बना सकता हैं। विश्वास की नीव पर टिके है सारे रिश्तें।

सफलता

दूर से हमें आगे के सभी रास्ते बंद नजर आते हैं क्योंकि सफलता के रास्ते हमारे लिए तभी खुलते हैं जब हम उसके बिल्कुल करीब पहुँच जाते हैं।

सोच

बारिश के दौरान सारे पक्षी आश्रय की तलाश करते है लेकिन बाज़ बादलों के ऊपर उडकर बारिश को ही नज़रअन्दाज कर देते है। समस्याए समान है, लेकिन आपका नजरिया इनमें फर्क पैदा करती है। इसलिए अपने सोचने के नजरिये में बदलाव करें।

प्रसन्नता

यहा पहले से निर्मित कोई चीज नहीं है... 
ये आप ही के कर्मों से आती है .... आपके कर्मं ही निमित्त बनते हैं।

निमित्त भाव

आप सिर्फ निमित्त मात्र हैं इस संसार में। यह संसार एक रंगमंच हैं - सभी मनुष्य आत्मायें अपना-अपना Part Play कर रही हैं। जाे आत्मा अपना Part निमित्त भाव से Play कर रही है, ओ आनंद में हैं।
याद रखेंः - जीवन में सच्चा आनंद और शांति ताे सिर्फ व सिर्फ ईश्वरीय ध्यान `या` परमात्म याद (Godly Meditation)  में ही हैं। चाहे अरबाे-खरबाे (Billions - trillions) इकट्ठा कर लाे फिर भी सच्चा आनंद और शांति कभी ना मिलेगी।

-विभिन्न पुस्तकों से संकलित
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अगले अंक में

तरोताजा करती है रैकी आध्यात्मिक चिकित्सा पद्धति